Tuesday, March 11, 2025

Mahashivratri 2025: इन्हें नहीं रखना चाहिए व्रत, जानें कैसे करें महाशिवरात्रि की पूजा, ये है नियम

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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का त्यौहार 26 फरवरी को मनाया जाएगा। शिव महापुराण के अनुसार कि जो शिव भक्त शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर व्रत रखते हैं और भगवान शिव की की भक्ति भाव के साथ आराधना करते हैं। उन पर भगवान शिव की कृपा होती है।  महाशिवरात्रि के दिन पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ किया गया व्रत और भोलेनाथ का जलाभिषेक कष्टों से मुक्ति दिलाकर सांसारिक सुख प्रदान करता है। हिंदू धर्म में व्रत कठिन होते है। ऐसे में महाशिवरात्रि का व्रत किन-किन लोगों को करना चाहिए, किन्हें नहीं करना चाहिए यहां जानें नियम।

महाशिवरात्रि व्रत ये लोग न करें

शिव पुराण में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) के व्रत को लेकर कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। इन नियमों में यह भी बताया गया है कि भगवान शिवजी की पूजा में किन-किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।  महाशिवरात्रि व्रत निराहार,फलाहार किया जाता है। ऐसे में महाशिवरात्रि का व्रत गर्भवती महिला, बुजुर्गों को नहीं करना चाहिए, क्योंकि गर्भवती महिला और बुजुर्गों को संतुलित आहार की जरुरत होती है। वहीं पीरियड्स में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) का व्रत स्त्रियों को करने की मनाही होती है।

महा शिवरात्रि व्रत-पूजन कैसे करें?

  • शिवरात्रि के पूर्व यानी त्रयोदशी तिथि के दिन, भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित करना होता है कि, व्रत के दिन पाचन तन्त्र में कोई अपचित भोजन शेष न रह गया हो।
  • शिवरात्रि के दिन, सुबह नित्य कर्म से निवृत्त के पश्चात्, भक्तों पूरे दिन के फलाहार या निराहार व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के समय श्रद्धालुओं को सभी प्रकार के भोजन से दूर रहना चाहिये।
  • स्नान के जल में काले तिल डालने का सुझाव दिया गया है। यह मान्यता है कि, शिवरात्रि के दिन पवित्र स्नान से न केवल देह, अपितु आत्मा का भी शुद्धिकरण भी हो जाता है। यदि सम्भव हो तो, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिये।
  • प्रदोष काल, निशिता काल या रात्रि के चारों प्रहर में घर पर अभिषेक-पूजन करने हेतु मिट्टी के शिवलिंग बनाएं, फिर जल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  • पूजा के दौरान दुग्ध, गुलाब जल, चन्दन का लेप, दही, शहद, घी, चीनी, बेलपत्र, मदार के फूल भस्म, भांग, गुलाल तथा जल आदि सामग्रियों का उपयोग करें।
  • आराधना के समय ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जप करें ।
  • व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात का बताया गया है।
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