Mahakumbh 2025: विश्व के सबसे बड़े आयोजन महाकुंभ की चर्चा हर ओर है। पूरी दुनिया से लोग यहां शामिल होने पहुंच रहे हैं। कुंभ के दौरान अमृत स्नान (शाही स्नान) का सर्वाधिक महत्व माना गया है। बता दें कि मकर संक्रांति पर्व पर अखाड़ों का अमृत स्नान लगभग साढ़े नौ घंटे तक चलेगा। शिविर से निकलने और वापस आने में 12 घंटे से भी ज्यादा समय लगेगा।
प्रशासन की ओर से मान्यता एवं परंपरा के अनुसार पूरी तैयारी की गई है। अमृत स्नान के लिए अखाड़ों के संतों एवं नागाओं के स्नान का समय तय कर दिया गया है। सबसे पहले महानिर्वाणी एवं अटल अखाड़े के संत स्नान करेंगे। शिविर से इनका प्रस्थान सुबह करीब 5:15 बजे से होगा और संगम पर वे सवा छह बजे पहुंचेंगे और करीब 40 मिनट तक अमृत स्नान होगा।
फिर निरंजनी एवं आनंद अखाड़ा के संत 7:05 बजे स्नान करेंगे। इसी क्रम में जूना, आवाहन एवं पंच अग्नि अखाड़ा के संत एक साथ सुबह 8 बजे स्नान करेंगे। इन अखाड़ों के बाद निर्वाणी, दिगंबर, निर्मोही अखाड़ा के संत क्रमश: 10:40, 11:20 एवं 12:20 बजे स्नान करेंगे। फिर नया पंचायती अखाड़ा के संत दिन में 1:15 तथा बडा पंचायती के 2:20 बजे स्नान करेंगे। निर्मल पंचायती अखाड़ा के संत अंत में 3:40 से 4:20 बजे तक स्नान करेंगे। इसके बाद करीब 5.20 बजे वे अपने शिविरों में पहुंचेंगे।
जानें क्या है शाही स्नान
कुंभ के दौरान नागा साधुओं को उनकी धार्मिक निष्ठा के कारण सबसे पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर राजसी ठाट-बाट के साथ स्नान करने पहुंचते हैं। इसी भव्यता के कारण इसे शाही स्नान ( अब अमृत स्नान) नाम दिया गया है।
अमृत स्नान को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से कई गुना ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से न सिर्फ इस जन्म के, बल्कि पूर्व जन्मों के पाप भी खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।