Tuesday, March 11, 2025

घर को बनाएं शांति का कैलाश

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डॉ. नीरज गजेंद्र. महाशिवरात्रि केवल उपवास और जागरण का पर्व नहीं है। यह जीवन का सबसे बड़ा संदेश देती है कि कैसे हम अपने परिवार और दांपत्य जीवन को सुख, शांति और मंगल से भर सकते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती का गृहस्थ जीवन केवल देवताओं की कथा नहीं, बल्कि हमारे लिए भी एक सीख है। उनके जीवन में प्रेम, त्याग, धैर्य, संतुलन और आदर के जो तत्व हैं, वही हर दांपत्य जीवन की नींव बन सकते हैं। आइए, शिव-पार्वती के जीवन से कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखें, जो हमें अपने घर-आंगन को शांति का कैलाश बनाने में मदद कर सकती हैं।

शिव और पार्वती का प्रेम केवल सांसारिक आकर्षण नहीं, बल्कि आत्माओं का मिलन है। पार्वती ने शिव को पाने के लिए वर्षों तक कठिन तप किया। शिव ने उन्हें समान अधिकार दिया। यह हमें सिखाता है कि जीवनसाथी के प्रति प्रेम और समर्पण दांपत्य जीवन की सबसे मजबूत नींव है। आज के समय में रिश्ते टूटने का एक बड़ा कारण है, संवाद की कमी। लोग एक-दूसरे से ज्यादा मोबाइल फोन से जुड़े हैं। शिव-पार्वती हमें सिखाते हैं कि रिश्ते निभाने के लिए एक-दूसरे को समय देना, सुनना और समझना जरूरी है। भगवान शिव औघड़दानी हैं। भस्म लगाए, गले में नाग, तांडव करने वाले। वहीं, माता पार्वती सौंदर्य, शृंगार और कोमलता की देवी हैं। फिर भी दोनों का गृहस्थ जीवन सुखी रहा। क्यों? क्योंकि उन्होंने एक-दूसरे के स्वभाव को अपनाया, न कि बदलने की कोशिश की।

आजकल शादी के बाद लोग जीवनसाथी को बदलने की कोशिश करने लगते हैं। लेकिन असली सुख तब है जब हम एक-दूसरे की अच्छाइयों को अपनाएं और कमजोरियों को स्वीकार करें। शिव की तरह धैर्य रखना और पार्वती की तरह प्रेम और सामंजस्य बनाए रखना ही सुखी दांपत्य का मंत्र है। शिव-पार्वती के रिश्ते में सबसे बड़ी बात यह थी कि दोनों ने एक-दूसरे को बराबरी का सम्मान दिया। पार्वती ने शिव के साथ अर्धनारीश्वर रूप में खुद को समाहित किया, तो शिव ने भी पार्वती को शक्तिस्वरूपा माना। आज के समय में यह सीख सबसे जरूरी है। पति-पत्नी का रिश्ता तभी मजबूत रहेगा जब दोनों एक-दूसरे की सोच, सपनों और स्वतंत्रता का सम्मान करें। घर में फैसले एक-दूसरे को दबाकर नहीं, बल्कि मिलकर लिए जाएं।

शास्त्रों में आता है कि जब भी शिव और पार्वती में कोई असहमति होती, तो वे बैठकर बात करते थे। चाहे पार्वती का भगवान गणेश को द्वारपाल बनाना हो या शिव का कार्तिकेय को दक्षिण में भेजना, हर बात पर संवाद होता था। आजकल छोटी-छोटी बातों पर रिश्ते बिगड़ने लगते हैं, क्योंकि लोग संवाद से ज्यादा तर्क-वितर्क में उलझ जाते हैं। अगर घर में समस्या है, तो उसे खुलकर बात करके हल करना चाहिए, न कि गुस्से में चुप रहकर।

पार्वती ने शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की, और शिव ने भी उनका सम्मान किया। रिश्तों में कभी-कभी कठिन दौर आता है, लेकिन अगर धैर्य रखा जाए, तो सब ठीक हो सकता है। आज के समय में लोग जरा-सी परेशानी में रिश्तों को तोड़ने की बात करने लगते हैं। लेकिन याद रखें, हर रिश्ते को समय, धैर्य और मेहनत की जरूरत होती है। अगर कोई कठिनाई आए, तो धैर्य रखें, समाधान ढूंढें और एक-दूसरे का साथ न छोड़ें। शिव-पार्वती न केवल आदर्श पति-पत्नी थे, बल्कि आदर्श माता-पिता भी थे। उन्होंने अपने बच्चों गणेश और कार्तिकेय को संस्कार, स्वतंत्रता और सही मार्गदर्शन दिया। आजकल घर में माता-पिता बच्चों को या तो जरूरत से ज्यादा छूट देते हैं या बहुत ज्यादा नियंत्रण रखते हैं। शिव-पार्वती हमें सिखाते हैं कि बच्चों को अच्छे संस्कार देना, उन्हें सही दिशा दिखाना और स्वतंत्रता भी देना जरूरी है।

शिव तांडव करने वाले हैं, लेकिन जब पार्वती उन्हें शांत करने आती हैं, तो वे शांत हो जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि दांपत्य जीवन में कभी-कभी विवाद हो सकता है, लेकिन उसे सुलझाने के लिए अहंकार को त्यागना होगा। आजकल पति-पत्नी में अहंकार और गुस्से के कारण रिश्ते खराब होते हैं। लेकिन अगर शिव जैसे शांत और पार्वती जैसी सहनशीलता हो, तो हर समस्या का हल निकल सकता है। शिव का पूरा जीवन त्याग का प्रतीक है। वे सबसे बड़े योगी हैं, फिर भी उन्होंने पार्वती के साथ गृहस्थ जीवन अपनाया। यह हमें सिखाता है कि रिश्तों में सुखी रहने के लिए कभी-कभी अपने स्वार्थ और इच्छाओं का त्याग भी जरूरी है। आज के रिश्ते तभी सफल होंगे, जब हम केवल लेने की नहीं, बल्कि देने की भावना भी रखें। छोटे-छोटे त्याग और सहयोग से ही घर स्वर्ग बन सकता है।

अगर हम शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन के मूल तथ्य प्रेम और समर्पण को बनाए रखें, एक-दूसरे को बदलने के बजाय अपनाएं सम्मान और स्वतंत्रता दें। संवाद को प्राथमिकता दें, धैर्य और तपस्या से रिश्तों को मजबूत बनाएं, परिवार की जिम्मेदारियों को समझें, अहंकार और क्रोध को छोड़ें, त्याग और सहयोग को अपनाएं तो हमारा घर भी शांति का कैलास बन सकता है। महाशिवरात्रि केवल शिव की पूजा का पर्व नहीं, बल्कि हमें यह सिखाने का अवसर है कि हम अपने वैवाहिक जीवन को कैसे मंगलमय बना सकते हैं। जब शिव और पार्वती जैसी समझदारी, प्रेम और सम्मान होगा, तो हर घर सच में स्वर्ग बन जाएगा। हर हर महादेव!

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