छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल 10+ Famous Places in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाना जाने वाला राज्य है। यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक इमारतों के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। अगर आप छत्तीसगढ़ घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां के कुछ खूबसूरत शहर और स्थलों पर जरूर जाएं।
इस लेख में हम आपको छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल व खूबसूरत जगहों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल कौन कौन से हैं?
छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल कौन कौन से हैं?
रायपुर (Raipur)
रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी होने के साथ ही यहां का सबसे बड़ा शहर है। यहां सैकड़ों से अधिक स्टील मिलों और कई लौह उद्योग हैं। यह देश के सबसे बड़े औद्योगिक केंद्रों में से एक माना जाता है। स्टील के अलावा, यह एल्यूमीनियम और कोयला उद्योगों भी यहां हैं। वर्तमान में नया रायपुर को भी विकसित किया जा रहा है।
डोंगरगढ़ (Dongargarh)
छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल में स्थित डोंगरगढ़ अपनी राजसी पहाड़ों और तालाबों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां 1,600 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर बम्लेश्वरी देवी मां का मंदिर स्थित है, जो सैलानियों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
सिरपुर (Sirpur)
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महासमुंद जिले से 35 किमी दूर और रायपुर शहर से लगभग 78 किमी दूरी पर स्थित सिरपुर एक गांव है। यह गांव कई वास्तुकारों के लिए प्रेरणास्रोत है। मुख्य रूप से सिरपुर लक्ष्मण मंदिर और बौद्ध स्थाप्त्य कला के लिए काफी प्रसिद्ध है। इसकी संस्कृति और वास्तुकला बरबस ही लोगों को आकर्षित करती है।
मैनपाट (Mainpat)
मैनपाट प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लुभावने झरनें, घने जंगल और अछूते तालाब लोगों को अपनी ओर काफी ज्यादा आकर्षित करते हैं। यहा सुंदर हिल स्टेशन है। यहां प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने लोग पहुंचते हैं।
बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य (Barnawapara Wildlife Sanctuary)
यह छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इसकी स्थापना 1976 में हुई थी और यह 245 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां चारों ओर हरे-भरे वृद्ध हैं, जो अभ्यारण की सुंदरता को बढ़ाते हैं। इसके अलावा यहां कई तरह के जानवरों को भी देखने का मौका मिलेगा।
पुरखौती मुक्तांगन (Purkhouti Muktangan)
पुरखौती मुक्तांगन में कई आदिवासियों के प्रदर्शन, विभिन्न लोक कलाओं और छत्तीसगढ़ के अन्य खजानों की जीवंत आकृतियां प्रदर्शित की जाती हैं। इसे राज्य के महत्वाकांक्षी विजन 2020 में जगह मिली है। यह छत्तीसगढ़ की स्थानीय जनजातियों की समृद्ध संस्कृति और विरासत को समझने और बच्चों को वही ज्ञान प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त स्थान है।
भिलाई (Bhilai)
भिलाई शहर (Bhilai City) अपनी संस्कृति के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यह राजधानी रायपुर से 25 किमी दूर दुर्ग जिले में स्थित है। यह शहर मुख्य रूप से भिलाई स्टील प्लांट के लिए जाना जाता है, जो भारत के सबसे बड़े इस्पात संयंत्रों में से एक है। यह शहर विभिन्न धर्मों और भाषाओं के लोगों का एक आकर्षक व शानदार मिश्रण है जो शहर को एकता का संदेश देता है।
राजिम (Rajim)
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छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल में राजिम बड़ा नाम है।यह राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अनोखा नमूना है। इसे छत्तीसगढ़ के ‘प्रयाग’ के रूप में भी जाना जाता है। यह 3 पवित्र नदियों – महानदी (चित्रोत्पला), पैरी और सोंदुर के संगम का स्थान है। इन तीन नदियों के संगम स्थल को ‘त्रिवेणी संगम’ भी कहा जाता है। यहां प्रसिद्ध राजीवलोचन मंदिर और कुलेश्वरनाथ मंदिर है। यहां हर साल माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक मेला लगता है। इस शुभ आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होने आते हैं।
धमतरी (Dhamtari)
धमतरी छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण पर्यटन शहर है, जो अपने मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यह यह 14वीं शताब्दी के चालुक्य साम्राज्य का घर है। इस शहर की आबादी लगभग 82000 है। यह हर साल बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह अपनी लोक संस्कृति और वन्यजीव अभयारण्य के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
घटारानी वाटर फॉल्स (Ghatarani Waterfall)
रायपुर शहर से 85 किमी दूरी पर स्थित घटारानी झरना, छत्तीसगढ़ राज्य का प्रसिद्ध झरना है। यह अपनी हरी-भरी हरियाली से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जंगल के माध्यम से एक छोटा सा ट्रेक आपको इस खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता तक ले जाएगा। झरने के तल पर प्राकृतिक रूप से एक कुंड बना है।
भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple)
भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) बिल्कुल कोणार्क के सूर्य मंदिर से मिलता जुलता है। इसका निर्माण 7वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। इसे छत्तीसगढ़ के खजुराहो (Khajuraho of Chhattisgarh) के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर से भी मिलता जुलता है। यह इस क्षेत्र के चार प्राचीन मंदिरों – मड़वा महल, इस्तालिक मंदिर, चेरकी महल और भोरमदेव मंदिर में से मुख्य मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को समर्पित है। वास्तुकला की उत्कृष्ट नागर शैली और जटिल नक्काशीदार छवियां कला का एक शानदार नमूना हैं।
इंद्रावती नेशनल पार्क (Indravati National Park)
छत्तीसगढ़ का यह एकमात्र बाघ अभयारण्य है। इंद्रावती नदी के बहुत करीब होने के कारण इसका नाम इंद्रावती नेशनल पार्क पड़ा, इस राष्ट्रीय उद्यान को राज्य के सर्वश्रेष्ठ उद्यानों में से एक माना जाता है।
तीरथगढ़ फॉल्स (Tirathgarh Waterfall)
तीरथगढ़ वाटरफॉल (Tirathgarh Waterfall) छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक ऐसा स्थान है, जो आपको मनोरंजन, मौज-मस्ती, पिकनिक और रोमांचित करता है। तीरथगढ़ वाटरफॉल को पूरे जगदलपुर में सबसे प्रसिद्ध पिकनिक स्थलों में से एक माना जाता है। कांगेर राष्ट्रीय उद्यान (Kanger National Park) के अंदर स्थित होने के कारण तीरथगढ़ वाटरफॉल पर्यावरण पर्यटन का भी एक स्थान है।
चित्रकोट वाटरफॉल (Chitrakote Waterfalls)
चित्रकोट भारत का सबसे चौड़ा वाटरफॉल है। इसकी चौड़ाई के कारण इस वाटरफॉल्स को भारत के नियाग्रा के रूप में जाना जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर के पश्चिम दिशा में स्थित यह झरना इंद्रावती नदी से निकलता है। चित्रकोट झरना लगभग 30 मीटर की ऊंचाई और 985 फीट की चौड़ा है। गर्मियों में यह झरना चट्टान के ऊपर से तीन धाराओं में झरना गिरता है।
मल्हार (Malhar)
मल्हार छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थल में एक होने के साथ ही एक ऐतिहासिक शहर है और पर्यटकों के बीच पुरातात्विक महत्व रखता है। मल्हार में पाए गए कई अवशेष 1000 शताब्दी ईसा पूर्व के हैं और इन्हें कल्चुरी शासन काल का माना जाता है। इसकी उत्कृष्ट और प्राचीन मूर्तियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस शहर को ‘प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और राष्ट्रीय महत्व के अवशेष’ सूची में स्थान दिलाया है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बनाए रखा जाता है।
दंतेवाड़ा (Dantewada)
दंतेवाड़ा 1998 में मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गठन के बाद अस्तित्व में आया। बस्तर जिले में स्थित दंतेवाड़ा का एक अनोखा छोटा सा शहर है, जो तेज़ बहती नदियों, चमचमाते झरनों, विशाल पहाड़ी चोटियों और हरे-भरे घास के मैदानों के मनोरम दृश्य के लिए जाना जाता है। ऐतिहासिक रूप से इस शहर का नाम देवी दंतेश्वरी के नाम पर रखा गया था, जिन्हें शक्ति का अवतार माना जाता है। दंतेवाड़ा को तारलापाल के नाम से जाना जाता था।